
एडिटर/संपादक/तनीश गुप्ता,खण्डवा
शहर में निकला गणगौर माता का विसर्जन चल समारोह,
गणगौर घाट पर नम आंखों से दी माता को विदाई, जवारों का हुआ विसर्जन,
जगह-जगह हुए भंडारे, झूठी पत्तले उठाने की लगी बोली,
खंडवा। भारतीय संस्कृति के अनुरूप धर्म की प्रभावना से निमाड़ का यह गणगौर पर्व लगातार अपनी ऊंचाईयों को छू रहा है। यह पर्व राजस्थान का प्रमुख माना जाता था लेकिन अब मप्र के मालवा-निमाड़ में धार्मिक उत्साह के साथ चैत्र नवरात्रि नौ दिनों तक हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गणगौर पर्व में तीन दिनों तक काफी उत्साह रहता है। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि पर्व के अनेक कार्यक्रमों के साथ प्राचीन संस्कृति का एक अद्भूत उदाहरण खंडवा में देखा जा सकता है जब माता की विदाई के पूर्व भंडारों का आयोजन होता है और श्रद्धालुओं को भोजन की पत्तल लगाने से लेकर उनकी झूठी पत्तलें उठाने का भी उत्साह रहता है। झूठी पत्तल उठाने के लिए बढ़चढ़ कर बोलियां लगती है और यह बोलियां हजारों रूपयों में लगती है। पत्तल उठाने वाले अपने आपको इस कार्य के लिए भाग्यशाली मानते है और यह माना जाता है कि इस कार्य से पुण्य की प्राप्त होती है। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि निमाड़ में चैत्र नवरात्रि का पर्व पारंपरिक व सामूहिक रूप से मनाया जा रहा है। गणगौर पर्व अंतिम दिन जवारे विसर्जन के साथ संपन्न हुआ। रनुबाई-धनियर राजा को गाजे-बाजे व ढोल-ढमाकों के साथ मायके से विदाई दी गई। ढोल-ढमाकों के व युवा के उत्साह के साथ शहर का हृदय स्थल घंटाघर और बांबे बाजार पूरी तरह गणगौर मय हुआ और अलग-अलग क्षेत्रों व समाजों द्वारा सर पर रणुबाई और धनियर राजा के रथ लेकर निकली। अंत में गणगौर घाट पहुंचकर जवारों का विसर्जन नम आंखों से किया।
जयकारों से गुंजी शहर की सड़कें
रनुबाई को माता पार्वती के रूप में अपने घर में रखने के बाद जयकारों के साथ विदाई दी गई। पूरा निमाड़ गौर माता के जयकारों से गुंजायमान था मानो आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा हो। शहर के विभिन्न मार्ग रथों को गणगौर घाट ले जा रहे श्रद्धालुओं से सटे पड़े थे। श्रद्धालुओंं द्वारा माता के जवारों को रथों के साथ ले जाकर घाट पर पूजा-अर्चना कर विसर्जित किया गया।
पर्व के अंतिम दिन गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहर में भी माता भोज के आयोजन किए गए। निमाड़ में ऐसे कई समाज हैं जिनके द्वारा इस भोज में खाने से लेकर झूठी पत्तलें उठाने तक की बोलियां लगाई जाती है। मेहमानों को खाना खिलाने से लेकर उनकी झूठी पत्तलें उठाने तक में अधिक से अधिक पुण्य मिले इसके लिए बड़ी से बड़ी बोली लगाई जाती है। गुरव समाज के वरिष्ठ एवं पार्षद सोमनाथ काले ने बताया कि अनेकता में एकता यही हमारे देश की विशेषता है सामाजिक समरसता के भाव को लेकर हम हम सभी त्यौहार मनाते हैं गणगौर पर्व भी धार्मिक दृष्टि के साथ सामाजिक समरसता का एक पर्व है श्री गौरव समाज के द्वारा गणगौर पर्व बनाकर भंडारे का आयोजन आयोजित होता है और इस भंडारे में अमीर और गरीब में कोई भेदभाव नहीं होता गरीब की पत्तल अमीर उठाता है और अमीर के पत्तल गरीब उठाता है, झूठी पत्तल उठाने की बोलियां लगती है यह अपने आप में एक मिसाल है, सुनील जैन ने बताया कि गणगौर पर्व पर पूरे निमाड़ में गणगौर पर्व की धूम रही खंडवा महापौर अमृता अमर यादव एवं खंडवा विधायक कंचन मुकेश तनवे भाजपा जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह तोमर ने अलग-अलग स्थान पर जाकर गणगौर माता की पूजा अर्चना की गुरुवार को भी गणगौर विसर्जन यात्रा के ने रणुबाई-धनियर राजा की पूजा अर्चना कर महापौर विधायक ने प्रसादी ग्रहण की।
,झूठी पत्तले उठाने के लिए लगी बोली,
गुरव समाज शिव मंदिर पंचायत द्वारा प्रतिवर्ष गणगौर माता उत्सव के साथ अग्रवाल धर्मशाला में माता के पूजन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन होता है जहां पत्तल लगाने व उठाने की बोलियां लगाई जाती है। गुरुवार को पत्तल उठाने का सौभाग्य 51000 में रितेश, अमित, विनीत,हर्ष शिवांगी काले और 21000 की बोली में नेहा अशोक शर्मा परिवार को प्राप्त हुआ इसके अलावा भी समाज के कई व्यक्तियों द्वारा बोली लगाकर झूठी पतले उठाई गई, आयोजित उत्सव समाज के अध्यक्ष अशोक शर्मा दीपक शर्मा सोमनाथ कल भरत कुवादे , सचिन कुवादे, लोकेश भद्रवले, मनीष निमाड़े,नवीन देवराय, रानी परदेसी, नमिता काले, अनीता शर्मा, साधना काले, सहित समाज के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे।
माता को झूले में झुलाया
कहारवाड़ी क्षेत्र में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी धार्मिक उत्साह से पर्व मनाया गया एवं भंडारे के साथ रणुबाई व धनियर राजा के रथों को झूले में बैठाकर झूला भी झुलाया गया। वहीं झमराल मोहल्ले में में रथों को झूलों बैठाकर झुलाया गया। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर करते हुए माता के भंडारे में प्रसादी ग्रहण की।